नमाज में पढ़ी जाने वाली दुआएं / मय्यत को कब्र में उतारते वक्त की दुआ /मय्यत को दफन करने के बाद की दुआ
मय्यत को कब्र में उतारते वक्त की दुआ
रसूल अल्लाह जब मय्यत को क़ब्र में रखते तो ये दुआ पढ़ते थे [1]
बिस्मिल्लाहि व अला सुन्नति रसूलिल्लाह
अल्लाह के नाम के साथ और रसूल अल्लाह की सुन्नत के मुताबिक़ (तुम्हें दफ़्न करते हैं)
मय्यत को दफन करने के बाद की दुआ
रसूल अल्लाह जब मय्यत के दफ़्न से फारिग होते तो वहां कुछ देर रुकते और
फ़रमाते " अपने भाई की मग़फिरत की दुआ मांगो और उस के लिए साबित क़दम
(जमे) रहने की दुआ करो क्योंकि अभी उस से सवाल किया जाएगा " [2]
अल्लाहुम्-मम्फ़िर्-लहु अल्लाहुम्-म सब्बित्हु
ऐ अल्लाह ! उसे माफ़ कर ऐ अल्लाह ! उसे जाने दे।
[1] अबु दाऊद शरीफ़ हदीस नं. 3213 [2] अबु दाऊद शरीफ़ हदीस नं. 3221
सजदा ए तिलावत की दुआरसूल अल्लाह सजदा ए तिलावत में ये दुआ पढ़ा करते थे
ए
جد وجي الذي خلقه وش معه وبصره بحوله وقوته
-
स-ज-द वज्हि-य लिल्लज़ी ख़-ल-क़हू व शक़्क़ सम्अहू
व ब-स-रहू बिहौलिही कुव्वतिही
मेरे चहरे ने उस ज़ात को सजदा किया जिसने इसको पैदा किया और
इसके कान और आँख बनाए उसकी कुव्वत और ताक़त से
(तिरमिज़ी शरीफ़ हदीस नं. 3425)
Comments
Post a Comment